लेखक : R. Galvez (@the4ofustraveling) हिंदी में अनुवाद किया गया : Dr. Rajat Dutta (@drrajatdutta)

भारत के सुनहरा समय ब्रम्हांड सुंदरी प्रतियोगिता ( मिस यूनिवर्स ) में १९९२ – २००२ तक का था। बहुत ही अद्भुत दशक था जहाँ ११ साल में भारत हमेशा सेमि फाइनल्स पहुँचता था और उसने २ बार जीत भी हासिल की , सुष्मिता सेन १९९४ और लारा दत्ता २०००। इन सालों में भारत की सुंदरियाँ ने पूरे विश्व में अपना झंडा गाढ़ा। पूरा विश्व उनकी सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि उनकी समझदारी और चतुरता के लिए प्रशंसा करता था। भारत का सैश या नाम पेहेनना बहुत गौरव की बात होती थी।

वो दिन शायद चले गए हो। भारत मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में अपने तीसरे जीत के लिए संघर्ष कर रहा है। हालात और ख़राब हो गए थे जब देश के सबसे बड़े पेजेंट फेमिना मिस इंडिया ने २०१० में मिस यूनिवर्स का फ्रैंचाइज़ी छोड़ दिया था। और जब २०१३ में वापस लिए तब बी कोई सुधर नहीं आया। अभी भी भारत कुछ ही बार सेमि फाइनल्स पहुंचा है ( २०१२ , २०१३ , २०१४ और २०१९ ) पर कोई भी टॉप १० से आगे नहीं पहुँच पाई।

२०२१ में ६९वा मिस यूनिवर्स पेजेंट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साल था। भारत की एडेलीन कॉस्टेलिनो ३र्ड रनर उप यानी की चौथे स्थान पर जीत हासिल की। दरअसल में विश्व के सबसे बड़े पेजेंट मैगज़ीन मिसोसोलोगई ने तो एडेलीन को प्रथम स्थान पे रखा था। अगर वे आखरी राउंड में अपना मानसिक संतुलन ज़्यादा रखती तो शायद आज वह भारत की तीसरी मिस यूनिवर्स होती। फिर भी यह एक ऐतिहासिक पल है क्योंकि २००१ से पहली बार भारत मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में पहली बार टॉप ५ में आया है। आखरी बार ऐसा मुकाम सेलिना जेटली ने हासिल किया था

एडेलीन भारत के लिए एक सूरज की किरण है। कोरोना से पीड़ित रह चुकी एडेलीन अपने देश के लिए एक हीरो से कम नहीं। भारत अभी कोरोना के कब्ज़े में है और एडेलीन ने यह साबित किया की जहाँ चाह वहां राह। उन्स्की इस जीत से भारत की मुरझाती हुई रकोर्ड को एक नयी शक्ति मिली। उनकी इस जीत से शायद लाखों लड़कियों को प्रोत्साहन मिले और भारत और तेज़ी से मिस यूनिवर्स में आगे बढे

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